बनारस में पीएम मोदी के नाम रिकार्ड बनने की लड़ाई
खरी खरी संवाददाता
वाराणसी, 28 अप्रैल। लोकसभा चुनाव में राजनीतिक महत्व की दृष्टि से सबसे हाट सीट बनारस में चुनावी पारा गर्माया हुआ है। इस सीट पर देश के साथ साथ दुनिया की निगाहें लगी हुई हैं। यहां से बीजेपी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मैदान में उतारा है। मोदी यहां से फिर जीते तो वे एक ही सीट से जीत की हैट्रिक लगाने वाले प्रधानमंत्रियों जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के समकक्ष हो जाएंगे। इसके अलावा पार्टी की रणनीति नरेंद्र मोदी के खाते में करीब 67 प्रतिशत वोट डलवाने की है, ताकि 1977 में जनता पार्टी का प्रत्याशी चंद्रशेखर सिंह का 66.22 प्रतिशत वोट पाने का रिकार्ड टूट सके। मोदी 2019 के चुनाव में भारी अंतर से जीते थे, लेकिन वोट उन्हें 63.60 प्रतिशत ही मिले थे। इस बार दो नए रिकार्ड कायम करना चाहती है। इसलिए देश की सांस्कृतिक राजधानी कही जाने वाली इस सीट पर हार जीत की नहीं रिकार्ड बनने की लड़ाई है।
प्रधानमंत्री मोदी के मुकाबले में कांग्रेस ने एक बार फिर अजय राय को उतारा है, जबकि बसपा ने पूर्व पार्षद सैयद नेयाज अली (मंजू भाई) को प्रत्याशी बनाया है। इस बार पीएम मोदी के सामने कांग्रेस-सपा के संयुक्त उम्मीदवार अजय राय बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय वाराणसी से बीते तीन लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं और हर बार वह तीसरे स्थान ही रहे। राय ने बीजेपी से अलग होकर 2009 में पहला लोकसभा चुनाव सपा के चुनाव चिन्ह पर लड़ा था। वे 2014 और 2019 में कांग्रेस के सिंबल पर लड़े। राय को 2019 में 152548 वोट मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई थी। एक बार फिर वे मोदी के सामने मैदान में हैं। बसपा के सैयद नियाज अली मंजू अपनी लड़ाई सीधे पीएम नरेंद्र मोदी से करार देते हुए अजय राय के तीसरे स्थान पर रहने और अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।बनारस यूपी की उन लोकसभा सीटों में एक है, जहां सपा या बसपा ने कभी जीत हासिल नहीं की। माफिया मुख्तार अंसारी ने बसपा के सिंबल पर 2009 में और अतीक अहमद ने 2019 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर किस्मत आजमाई थी, लेकिन जनता ने दोनों को नकार दिया था।
बनारस से देश के पहले से लेकर तीसरी आम चुनाव में जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस का तिलिस्म वर्ष 1967 के आम चुनाव में माकपा उम्मीदवार सत्यनारायण सिंह ने तोड़ा था। इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी के चंद्रशेखर ने जीत दर्ज की। 1989 में जनता दल के अनिल शास्त्री को मतदाताओं ने संसद भेजा। अन्य चुनावों में कांग्रेस और BJP उम्मीदवारों ने बाजी मारी। तीन दशक से ज्यादा समय से बनारसियों को बाहरी प्रत्याशी ही भा रहे हैं। छह बाहरी उम्मीदवार संसद में बनारस का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इनमें दिग्गज कम्युनिष्ट नेता सत्यनारायण सिंह, अनिल शास्त्री, श्रीशचंद्र दीक्षित, डॉ. मुरली मनोहर जोशी ओर अंतिम कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।